कंबोडिया : दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में शुमार कंबोडिया के अंगकोरवाट मंदिर में हाल के दिनों में कुछ ऐसा हुआ है जिसने लोगों को हैरान और नाराज़ कर दिया है। यह मंदिर न केवल कंबोडिया की पहचान है, बल्कि UNESCO की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है।
सदियों पुरानी इस ऐतिहासिक धरोहर के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए, लेकिन सोशल मीडिया ट्रेंड ने यहां एक अनोखी और विवादास्पद स्थिति पैदा कर दी है।
अंगकोरवाट: प्राचीन धरोहर
अंगकोरवाट मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक है। यह विशालकाय मंदिर कांप्लेक्स करीब 400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें घने जंगल, पार्क, और खमेर साम्राज्य के प्राचीन अवशेष शामिल हैं।
इस परिसर के भीतर अंगकोरवाट मंदिर समेत कई छोटे-बड़े मंदिर भी हैं। यह स्थान न केवल कंबोडिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है।
वायरल ट्रेंड का खौफ
हाल के दिनों में, सोशल मीडिया पर एक अजीबोगरीब ट्रेंड देखने को मिला है। पर्यटक, जिन्हें अब “TikTok टूरिस्ट” के नाम से जाना जा रहा है, अंगकोरवाट मंदिर में ‘टेंपल रन’ गेम की नकल कर रहे हैं। इस गेम में एक पात्र मंदिर के भीतर दौड़ता है, और पर्यटकों ने इसे वास्तविक जीवन में दोहराने की कोशिश की है।
वे मंदिर परिसर में दौड़ते, उछलते-कूदते हुए वीडियो बना रहे हैं और उन्हें TikTok, यूट्यूब, और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर शेयर कर रहे हैं।
https://youtu.be/NHCodBCBY_o?si=le11HRyjEPSflaVO
धरोहर को खतरा
यह ट्रेंड न केवल मंदिर के प्रति अनादर को दर्शाता है, बल्कि इससे प्राचीन संरचनाओं को भी खतरा है। करीब 900 साल पुरानी इस धरोहर को इस तरह की हरकतों से गंभीर नुकसान हो सकता है। संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों और आम जनता ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
UNESCO भी इस स्थिति को लेकर चिंतित है, क्योंकि इस तरह के कृत्य मंदिर की सुरक्षा और संरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।
सम्मान और सुरक्षा की जरूरत
अंगकोरवाट जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों को संरक्षित रखना न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक जिम्मेदारी है। ऐसे स्थानों पर असंवेदनशील व्यवहार और मनोरंजन के लिए धरोहरों का दुरुपयोग न केवल इन्हें नुकसान पहुंचाता है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति अनादर को भी दर्शाता है।
ऐसे में, हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपनी धरोहरों का सम्मान करें और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।