ओडिशा सरकार का सराहनीय कदम: कामकाजी महिलाओं के लिए पीरियड लीव की घोषणा………………….?

ओडिशा में महिलाओं के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है, जिससे उनके स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाया जा सके। 15 अगस्त को कटक में आयोजित एक कार्यक्रम में ओडिशा की डिप्टी सीएम प्रभाती परिड़ा ने सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं के लिए एक दिन की पीरियड लीव (Menstrual Leave) की घोषणा की।

Odisha announces menstrual leave
महिला कर्मचारियों के लिए 1 दिन के पीरियड लीव की घोषणा ओडिशा की डिप्टी सीएम प्रभाती परिड़ा ने की. (तस्वीर: X)

यह पहल महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और उन्हें एक बेहतर कार्य वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है।

पॉलिसी के मुख्य बिंदु

ओडिशा सरकार द्वारा लागू की गई इस नई पॉलिसी के तहत, कामकाजी महिलाएं हर महीने एक दिन की पीरियड लीव ले सकती हैं। यह लीव महिला कर्मचारियों को उनके मासिक चक्र के पहले या दूसरे दिन लेने का विकल्प देती है।

पॉलिसी का उद्देश्य महिलाओं को पीरियड के दौरान आराम करने और उनकी सेहत का ख्याल रखने का मौका देना है, जिससे वे अपने काम और जीवन के बीच बेहतर संतुलन बना सकें।

डिप्टी सीएम प्रभाती परिड़ा ने इस पहल के बारे में बात करते हुए कहा,

“यह एक वैकल्पिक व्यवस्था है। महिलाएं पीरियड के पहले या दूसरे दिन छुट्टी ले सकती हैं। यह पॉलिसी सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्र की महिलाओं के लिए लागू होगी।”

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भारत में पीरियड लीव का परिदृश्य

भारत में पीरियड लीव को लेकर कोई राष्ट्रीय कानून नहीं है। ओडिशा से पहले केवल बिहार और केरल में ही पीरियड लीव पॉलिसी लागू थी। बिहार ने 1992 में यह नीति लागू की थी, जिसमें महिलाओं को हर महीने दो दिन की पेड पीरियड लीव दी जाती है।

वहीं, केरल ने 2023 में सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में छात्राओं के लिए पीरियड लीव का प्रावधान किया था।

कुछ निजी कंपनियों ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, ज़ोमैटो ने 2020 में अपनी महिला कर्मचारियों के लिए सालाना 10 दिनों की पेड पीरियड लीव की घोषणा की थी।

Odisha announces 1 day menstrual day leave for women employees on the  occasion of Independence Day | The Hindustan Gazette
भारत में पीरियड लीव का परिदृश्य

यह पहल न केवल महिलाओं के लिए कार्यस्थल को अधिक सहायक बनाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि वे अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता किए बिना अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को निभा सकें।

पीरियड लीव पर राष्ट्रीय बहस

हालांकि, पीरियड लीव को लेकर देशभर में कई विचारधाराएं हैं। फरवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कामकाजी महिलाओं और छात्राओं के लिए पीरियड लीव की मांग की गई थी।

लेकिन कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि यह मुद्दा सरकार की नीतियों के अंतर्गत आता है।

दिसंबर 2023 में, तत्कालीन महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में पेड पीरियड लीव के मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था,

“पीरियड और पीरियड साइकिल महिलाओं के जीवन का एक हिस्सा है और यह उनके कार्यक्षेत्र में बाधा नहीं बनना चाहिए। हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं करना चाहिए जो महिलाओं को समान अवसरों से वंचित कर दें।”

 

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल

दिसंबर 2023 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मेंस्ट्रुअल हाईजीन पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया था, जिसमें महिलाओं को घर से काम करने या सपोर्ट लीव उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। इस पॉलिसी का उद्देश्य महिलाओं के लिए कार्यस्थल को अधिक अनुकूल और सहायक बनाना है।

निष्कर्ष

ओडिशा सरकार का यह कदम महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस पॉलिसी से न केवल महिलाओं को उनके मासिक चक्र के दौरान आराम मिलेगा, बल्कि यह उन्हें कार्यस्थल पर अधिक उत्पादक और संतुलित बनाए रखने में भी मदद करेगा।

उम्मीद है कि अन्य राज्य भी इस पहल से प्रेरणा लेकर अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसी नीतियों को लागू करेंगे, जिससे महिलाओं को कार्यस्थल पर अधिक सहयोग और समर्थन मिल सके।