भारत को मिलेगा अमेरिका से उन्नत सोनोबॉय: चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियों के लिए नया खतरा……………..?
अमेरिका-भारत डील की घोषणा:
अमेरिका और भारत के बीच लगभग 422 करोड़ रुपये की डील के तहत भारत को एंटी सबमरीन वॉरफेयर सोनोबॉय प्राप्त होंगे। इस डील के साथ भारतीय नौसेना को अत्याधुनिक सोनोबॉय मिलेंगे जो समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएंगे।
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इस नई तकनीक से भारत की समुद्री निगरानी क्षमताओं को और भी मजबूत किया जाएगा, जिससे चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियों की गतिविधियों पर निगरानी रखना आसान हो जाएगा।
सोनोबॉय की विशेषताएँ:
सोनोबॉय एक उन्नत उपकरण है जो समुद्र के अंदर और सतह पर चलने वाले जहाजों या पनडुब्बियों की पहचान करने में सक्षम है। इसे पानी में हेलीकॉप्टर, सी गर्डियन या ड्रोन के माध्यम से गिराया जाता है। सोनोबॉय का एक हिस्सा पानी की सतह पर तैरता है जबकि दूसरा हिस्सा पानी के अंदर कुछ मीटर की गहराई पर एक तार के माध्यम से जुड़ा रहता है।
काम करने का तरीका:
सोनोबॉय एक रेडियो सिग्नल की तरह काम करता है, जो दुश्मन के जहाज या पनडुब्बी की आवाज को डिटेक्ट करता है। यह जानकारी हेलीकॉप्टर, सी गर्डियन ड्रोन या अन्य सिग्नल रिसीवर विमानों को भेजी जाती है, जिससे दुश्मन की पनडुब्बियों की लोकेशन और मूवमेंट का पता लगाया जा सकता है।
विशेष तकनीकी संशोधन:
भारत और अमेरिका के बीच विशेष प्रकार के सोनोबॉय को लेकर भी बातचीत चल रही है। इन विशेष सोनोबॉय में कई तकनीकी संशोधन शामिल हैं, जिनकी भारत ने अमेरिका से मांग की है। ये संशोधन भारतीय नौसेना की विशिष्ट जरूरतों और ऑपरेशनल परिस्थितियों के अनुसार तैयार किए जा रहे हैं।
भविष्य की सुरक्षा:
इस नई डील से भारत की समुद्री सुरक्षा में काफी सुधार होगा। उन्नत सोनोबॉय की मदद से भारत के पास समुद्र में चलने वाली गतिविधियों की बेहतर निगरानी और सुरक्षा की क्षमता होगी, जिससे चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियों की गतिविधियों पर प्रभावी निगरानी रखी जा सकेगी।
निष्कर्षतः, यह डील भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, जो समुद्री सुरक्षा में नई ऊँचाइयों को छूने में मदद करेगी।