अब डॉक्टरों पर हिंसा के मामलों में 6 घंटे के भीतर होगी FIR दर्ज, केंद्र सरकार का सख्त निर्देश……………..?
हाल ही में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के खिलाफ देशभर में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ होने वाली हिंसा के मामलों पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की गई है। अब किसी भी प्रकार की हिंसा की घटना पर संबंधित अस्पताल को 6 घंटे के भीतर इंस्टीट्यूशनल FIR दर्ज करवानी होगी।
1. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का आदेश:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 16 अगस्त को एक नोटिस जारी किया, जिसमें सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया गया कि अगर किसी डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी के साथ ड्यूटी के दौरान कोई हिंसक घटना होती है, तो अस्पताल प्रशासन को 6 घंटे के भीतर FIR दर्ज करनी होगी।
यह कदम डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, जो हाल के दिनों में बढ़ती हिंसा की घटनाओं के चलते बेहद जरूरी हो गया था।
2. डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा:
डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा आम हो गई है।
कई बार मरीज या उनके परिजन गुस्से में आकर डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर शारीरिक या मौखिक रूप से हमला कर देते हैं। ऐसी घटनाओं की बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसे देखते हुए यह कड़ा निर्णय लिया गया है।
3. पहले से जारी निर्देश और NMC की भूमिका:
इससे पहले, 14 अगस्त को DGHS ने एक आदेश में कहा था कि सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों को हिंसक घटनाओं की रजिस्ट्री रखनी चाहिए और ऐसी घटनाओं को तुरंत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संज्ञान में लाना चाहिए।
नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने भी कहा था कि कॉलेज प्रबंधन को हिंसा की किसी भी घटना की त्वरित जांच करनी चाहिए और 24 घंटे के भीतर पुलिस में FIR दर्ज कराकर इसकी रिपोर्ट NMC को भेजनी चाहिए।
https://youtu.be/tXd6DCJEbFg?si=T4hxrbS2XRZYbEIM
4. रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग और केंद्रीय प्रोटेक्शन एक्ट:
रेजिडेंट डॉक्टरों की लंबे समय से यह मांग रही है कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए केंद्रीय स्तर पर एक सख्त कानून बनाया जाए। मौजूदा व्यवस्था में भी कई घटनाओं में FIR दर्ज नहीं की जाती है,
जो डॉक्टरों के लिए बेहद चिंताजनक है। साल 2019 में कोलकाता में एक डॉक्टर पर हमले के बाद इसी तरह के प्रदर्शन हुए थे, जिसके बाद एक ड्राफ्ट तैयार किया गया था, जिसमें हिंसा के लिए 10 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया था।
READ MORE :राष्ट्रव्यापी डॉक्टरों की हड़ताल: कोलकाता बलात्कार-हत्या के विरोध में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित………………?
5. हिंसा के खिलाफ सख्त कदम की जरूरत:
देशभर में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिसे देखते हुए केंद्रीय सरकार का यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल उनके लिए बल्कि पूरे स्वास्थ्य सेवा तंत्र के लिए जरूरी है।
इस नए निर्देश से यह उम्मीद की जा रही है कि डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर सख्त और त्वरित कार्रवाई हो सकेगी।
Conclusion:
केंद्र सरकार का यह आदेश डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्देश यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी प्रकार की हिंसा की घटना पर तुरंत कार्रवाई हो और दोषियों को सख्त सजा मिल सके।
डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी, जो हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ हैं, उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल में काम करने का हक है, और यह आदेश उस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।