विवाद के चलते आरक्षण के नाम पर रद्द हुई लेट्रल एंट्री , इससे पहले क्या हुआ था बदलाव : रिपोर्ट…………….?
केंद्र सरकार की लेटरल एंट्री योजना, जिसे विशेषज्ञता लाने और सरकारी तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, अब आरक्षण विवाद में उलझ गई है। यह योजना, जो 2018 में शुरू की गई थी, अपने शुरुआती दौर से ही सामाजिक न्याय के सवालों के घेरे में रही है। हाल ही में, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC की चेयरपर्सन प्रीति सूदन को लिखे पत्र में सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का हवाला देते हुए लेटरल एंट्री के तहत निकाली गई भर्तियों को वापस लेने का आग्रह किया।
लेटरल एंट्री की शुरुआत और आरक्षण की उपेक्षा
2018 में जब लेटरल एंट्री योजना की रूपरेखा तैयार की गई, तब सरकार ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के 1978 के निर्देशों को आधार बनाया। इन निर्देशों के अनुसार, लेटरल एंट्री की व्यवस्था प्रतिनियुक्ति के समान है, और इसमें SC/ST/OBC के लिए आरक्षण अनिवार्य नहीं है। हालांकि, इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बिंदु को नजरअंदाज कर दिया गया—सरकार को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि इन पदों पर SC/ST अभ्यर्थियों की उचित अनुपात में भर्ती हो।
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घटनाओं का क्रम और आरक्षण का विवाद
लेटरल एंट्री के तहत लगभग 50 पदों को भरा जा रहा था, जिन्हें ‘पर्याप्त’ माना जा सकता है। इसके बावजूद, यह सुनिश्चित किया गया कि प्रत्येक पद को ‘सिंगल पोस्ट’ के रूप में भरा जाए ताकि उन पर आरक्षण लागू न हो।
– 19 मार्च, 2018 : कैबिनेट सचिवालय ने DoPT को प्रधानमंत्री के निर्देशों के तहत 50 पदों को भरने का आदेश दिया।
– 23 अप्रैल, 2018 : DoPT ने लेटरल एंट्री के लिए PMO की तय डेडलाइन का हवाला दिया और आरक्षण प्रभाग से राय मांगी।
– 25 अप्रैल, 2018 : आरक्षण प्रभाग ने DoPT के पुराने निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि प्रतिनियुक्ति द्वारा भरे जाने वाले पदों में SC/ST के लिए आरक्षण जरूरी नहीं है।
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– 10 मई, 2018 : आरक्षण विभाग ने कहा कि यदि योग्य SC/ST/OBC उम्मीदवार उपलब्ध हैं, तो उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
– 16 मई, 2018 : प्रधानमंत्री के सचिव की अध्यक्षता में लेटरल एंट्री पर बैठक हुई।
– 18 जुलाई, 2018 : DoPT ने माना कि एक सामान्य विज्ञापन से विशेषज्ञों का चयन किया जा सकता है, लेकिन इसे आरक्षण के तहत नहीं माना गया।
– 11 जून, 2018 : कैबिनेट सचिवालय ने विभिन्न मंत्रालयों में उप निदेशक/निदेशक पदों की सूची फॉरवर्ड की।
वर्तमान विवाद और राजनीतिक प्रतिक्रिया
हाल में UPSC द्वारा 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री का विज्ञापन निकाला गया था, जिसके बाद विवाद और गहरा हो गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कई विपक्षी दलों ने इस योजना का विरोध किया। यहाँ तक कि NDA के सहयोगी दलों, जैसे चिराग पासवान की LJP (रामविलास) और नीतीश कुमार की JDU ने भी इसका विरोध किया।
लेटरल एंट्री योजना के तहत अब तक 63 पद भरे जा चुके हैं, लेकिन आरक्षण का मुद्दा इस प्रक्रिया में बड़े सवाल खड़े करता है।