भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC में स्थायी सदस्यता की मांग को लेकर वैश्विक समर्थन तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में, रूस ने भारत और ब्राजील की उम्मीदवारी का समर्थन किया, जिससे इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा फिर से तेज हो गई है।

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रूस का समर्थन,

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने UNSC में विकासशील देशों के बेहतर प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर जोर देते हुए भारत और ब्राजील का समर्थन किया। उनका कहना है कि भारत ने लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग की है। लावरोव ने इस बात पर बल दिया कि वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व बढ़ाना आवश्यक है।

 

भूटान का समर्थन,

भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने भी भारत के लिए स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन किया। उन्होंने 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए, जिससे भारत की दावेदारी को और बल मिला।

 

लावरोव ने की पश्चिमी देशों की आलोचना,

लावरोव ने पश्चिमी देशों पर वैश्वीकरण के मूल्यों को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कई देशों पर प्रतिबंध लगा कर स्थिति को और बिगाड़ दिया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटों के लिए भारत और ब्राजील की उम्मीदवारी का समर्थन करना जरूरी है, जबकि पश्चिमी देशों के लिए किसी अतिरिक्त सीट की चर्चा नहीं होनी चाहिए।

 

भारत के समर्थन में: अन्य देशों की आवाज,

भारत को UNSC में स्थायी सदस्य बनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी अपने समर्थन का ऐलान किया है। मैक्रों ने UNSC में अधिक समावेशिता की जरूरत पर जोर देते हुए भारत, जर्मनी, ब्राजील और जापान का नाम लिया।

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क्वाड देशों का संयुक्त बयान,

हाल ही में क्वाड देशों (अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया) ने भी UNSC में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद, व्हाइट हाउस ने भारत को स्थायी सदस्य बनाने के लिए अमेरिका के समर्थन की पुष्टि की।

 

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