उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती विवाद: छात्रों का न्याय की मांग के साथ जोरदार प्रदर्शन…………?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन दिनों भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसका कारण 69 हज़ार शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में देरी और अनियमितताओं को लेकर अभ्यर्थियों में गहरा असंतोष है। ये आंदोलन इस मुद्दे पर केंद्रित है कि सरकार ने भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का सही से पालन नहीं किया, जिससे हज़ारों उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ है।
आंदोलन की शुरुआत और घटनाक्रम
3 सितंबर 2024 को केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय के सामने बड़ी संख्या में शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने धरना दिया। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी महिलाएं भी थीं, जिनकी तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
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इससे एक दिन पहले, 2 सितंबर को, खबर आई थी कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया था। अभ्यर्थियों ने नारे लगाए, “योगी जी न्याय करो…केशव चाचा न्याय करो।
” इस प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। जब प्रदर्शनकारियों को उप-मुख्यमंत्री के आवास से पहले ही रोक दिया गया, तो वे आक्रोशित हो गए और पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया और कई अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया गया।
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समस्या की जड़: 69 हज़ार शिक्षक भर्ती
दिसंबर 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 69 हज़ार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इस परीक्षा में 4 लाख 31 हज़ार उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिसमें से 1 लाख 46 हज़ार उम्मीदवार सफल हुए थे। लेकिन जब मेरिट लिस्ट जारी हुई, तो विवाद भी खड़ा हो गया।
आरक्षण और मेरिट लिस्ट का विवाद
अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया गया। बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के अनुसार, अगर कोई OBC वर्ग का अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी के कट-ऑफ से ज्यादा अंक प्राप्त करता है, तो उसे अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलनी चाहिए, न कि OBC कोटे में। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि OBC वर्ग को 27% आरक्षण के बजाय मात्र 3.86% आरक्षण मिला। इसके कारण हजारों योग्य अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
हाई कोर्ट का दरवाज़ा और सरकार की प्रतिक्रिया
अक्टूबर 2020 से कई बार विरोध प्रदर्शन हुए और कई बार पुलिस के साथ झड़प की घटनाएं भी सामने आईं। 2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में प्रदर्शनकारी छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को त्वरित और निष्पक्ष समाधान निकालने का निर्देश दिया।
लेकिन इसके बावजूद, अभ्यर्थियों को मजबूर होकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उन्होंने श्रेणीवार ब्यौरा घोषित किए बिना मेरिट लिस्ट जारी करने और अनुपातहीन प्रतिनिधित्व के खिलाफ याचिकाएं दायर कीं।
जनवरी 2024 में, एक प्रदर्शनकारी ने मीडिया को बताया कि लिस्ट में ‘आरक्षण का घोटाला’ हुआ है। उसके अनुसार, आरक्षित वर्गों के जिन अभ्यर्थियों का चयन अनारक्षित पदों पर होना था, उन्हें जबरन आरक्षित कोटे में डाल दिया गया। इससे वे अभ्यर्थी, जो अपने कोटे में चयन पाने के योग्य थे, भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से कई हलफनामे दाखिल करने को कहा। बाद में, सरकार ने स्वीकार किया कि आरक्षण अधिनियम, 1994 का ठीक से पालन नहीं किया गया है, और 5 जनवरी 2022 को एक नई मेरिट लिस्ट जारी की।
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हाई कोर्ट का आदेश और वर्तमान स्थिति
हालांकि, 13 मार्च 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों की पिछली सूचियों को खारिज कर दिया और एक नई मेरिट लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया। इसके बाद, 16 अगस्त 2024 को, हाई कोर्ट ने पुरानी सारी लिस्ट्स को रद्द कर दिया और बेसिक शिक्षा विभाग को तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया।
अब, प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का मुख्य चिंता यह है कि नई मेरिट लिस्ट में हजारों टीचर बाहर हो सकते हैं। उनकी तीन प्रमुख मांगें हैं:
1. उच्च अदालत के आदेश का पालन हो,
2. नई मेरिट लिस्ट जल्द से जल्द जारी की जाए, और
3. पिछली लिस्ट में हुए घपले के ज़िम्मेदार लोगों पर कार्रवाई हो।
सरकार और विपक्ष का रुख
चूंकि यह मुद्दा OBC उम्मीदवारों के आरक्षण से जुड़ा है, इसलिए यह योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए काफी संवेदनशील है। उत्तर प्रदेश की आबादी में OBC की हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 18 अगस्त 2024 को आश्वासन दिया था कि सरकार का दृढ़ विश्वास है कि आरक्षण का लाभ सभी पात्र उम्मीदवारों को मिलना चाहिए और किसी भी उम्मीदवार के साथ अन्याय नहीं होगा।
हालांकि, समाजवादी पार्टी ने इस भर्ती को लेकर योगी सरकार की आलोचना की है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे भाजपा सरकार की घोटालों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का शिकार बताया है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में 69 हज़ार शिक्षक भर्ती का मामला अब भी एक विवादित मुद्दा बना हुआ है। अभ्यर्थी न्याय की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने का वादा किया है। लेकिन जब तक नई मेरिट लिस्ट जारी नहीं होती और पिछले घोटालों के दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक छात्रों का असंतोष बरकरार रहेगा।