पटना लाठीचार्ज: शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिस की बर्बरता, लोकतंत्र का अपमान …….??
बिहार की राजधानी पटना में सोमवार को एक बार फिर सड़कें उबल उठीं जब शिक्षक अभ्यर्थियों ने बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करने का प्रयास किया। ये अभ्यर्थी टीआरई-3 (TRE-3) परीक्षा से जुड़े थे और उनकी प्रमुख मांग थी “वन कैंडिडेट वन रिजल्ट” की नीति लागू करने की। लेकिन उनकी शांतिपूर्ण आवाज़ को दबाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज का सहारा लिया, जिसमें कई अभ्यर्थी घायल हो गए।
क्या है पूरा मामला?
अभ्यर्थियों की मांग थी कि बीपीएससी TRE-3 परीक्षा में “वन कैंडिडेट वन रिजल्ट” लागू किया जाए। उनके अनुसार, यह नीति उम्मीदवारों के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, वे चाहते थे कि रिजल्ट घोषित होने से पहले काउंसिलिंग की जाए और बेलट्रॉन को कोई जिम्मेदारी न दी जाए।
प्रदर्शन का क्या हुआ नतीजा?
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में बीपीएससी के दफ्तर के बाहर जमकर नारेबाजी की। जब पुलिस ने उन्हें ललित भवन के पास रोकने की कोशिश की, तो कुछ छात्र सड़कों पर लेट गए जिससे यातायात बाधित हो गया। इसके बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया, जिसमें लाठीचार्ज भी शामिल था। इस घटना के बाद प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच बहस भी हुई, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी जगह से पीछे हटने को तैयार नहीं थे।
प्रदर्शनकारियों का आरोप: “लोकतंत्र की हत्या”
लाठीचार्ज के बाद, एक प्रदर्शनकारी दिलीप कुमार ने मीडिया से कहा, “यह अन्याय हो रहा है, यह लोकतंत्र की हत्या है।” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या लोकतंत्र में छात्रों को शांतिपूर्वक अपनी बात रखने का अधिकार नहीं है? उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी सवाल उठाया, जो खुद छात्र आंदोलन से निकले नेता हैं, लेकिन आज उन्हीं छात्रों के आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है।
पुलिस का पक्ष: “बल प्रयोग नहीं, सिर्फ रोकने का प्रयास”
इस पूरी घटना पर पुलिस-प्रशासन का कहना है कि उन्होंने किसी पर बल प्रयोग नहीं किया बल्कि सड़कों को खाली कराने के लिए प्रदर्शनकारियों को पीछे हटने के लिए कहा। सचिवालय डीएसपी सुशील कुमार के अनुसार, “अभ्यर्थियों को पीछे किया गया, बल प्रयोग नहीं हुआ।”
निष्कर्ष
यह घटना बिहार के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुकी है। यह केवल एक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह उन लाखों छात्रों की आवाज़ थी जो एक निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा प्रणाली की मांग कर रहे हैं। पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है?
पटना की सड़कों पर यह संघर्ष एक बड़ी कहानी का हिस्सा है, जिसमें छात्रों की आवाज़ और उनकी मांगें प्रमुखता से सामने आई हैं। यह घटना बिहार की राजनीति और प्रशासन के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करती है, जिस पर भविष्य में ध्यान दिया जाना आवश्यक है।