उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की एक अदालत ने एक पुरानी घटना के चलते 15 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला 4 फरवरी 2001 का है, जब पंचायत के दौरान एक जमीन विवाद ने खूनी संघर्ष का रूप ले लिया था। इस घटना में दोनों पक्षों से एक-एक व्यक्ति की जान गई थी और तीन अन्य लोग घायल हुए थे।
पंचायत के दौरान शुरू हुआ विवाद,
घटना का आरंभ नगला मुलू गांव में हुआ, जहाँ फेरन सिंह और सोवरन सिंह के बीच जमीन पर घूरा डालने को लेकर मामूली विवाद हुआ। पंचायत के दौरान दोनों पक्षों के बीच बहस ने धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लिया, और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू हो गई।
न्यायालय का फैसला,
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने 16 लोगों को दोषी ठहराया। न्यायाधीश जय प्रकाश ने सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह फैसला 23 साल बाद आया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्याय की प्रक्रिया कितनी लंबी हो सकती है।
मैनपुरी पुलिस की विवेचना,
पुलिस ने प्रारंभिक जांच में कुछ आरोपियों के नाम मामले से हटा दिए थे, लेकिन गवाहों की गवाही के आधार पर कोर्ट ने उन्हें दोबारा शामिल कर लिया। आरोपियों में फेरन सिंह के पक्ष से 10 और शोभारण सिंह के पक्ष से 6 लोग शामिल हैं।
सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण,
यह मामला न केवल एक जघन्य अपराध है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि जमीन के विवादों के चलते परिवारों में तनाव और सामाजिक अस्थिरता पैदा होती है। अदालत का निर्णय इस बात का प्रतीक है कि कानून आखिरकार अपनी प्रक्रिया के तहत न्याय प्रदान कर सकता है, भले ही उसमें समय लगे।
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