मुंबई 26/11 हमले के आरोपी ताहवूर राणा को अमेरिका ने प्रत्यर्पण को मंजूरी………………?

अमेरिकी अदालत ने 26/11 हमलों के आरोपी ताहवूर राणा को भारत को प्रत्यर्पित करने का आदेश सुनाया। यह फैसला अमेरिका की नाइंथ सर्किट कोर्ट ने गुरुवार को सुनाया। ताहवूर राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कैनेडियन व्यापारी हैं, जो 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में उनकी भूमिका के लिए वांछित अपराधी घोषित किया गया था।

US court: 26/11 accused Tahawwur Rana can be extradited to India | India  News - Times of India
मुंबई 26/11 हमले के आरोपी ताहवूर राणा को अमेरिका ने प्रत्यर्पण को मंजूरी

अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत, अमेरिकी कोर्ट ने राणा को प्रत्यर्पण की अनुमति दी है। अदालत ने राणा की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मैजिस्ट्रेट जज द्वारा उन्हें ‘प्रत्यर्पण के योग्य’ घोषित करने के फैसले को चुनौती दी थी।

https://youtu.be/hHwE9w95yzc?si=cmIFihGqjG9fABZU

राणा, जो वर्तमान में लॉस एंजेलिस की जेल में बंद हैं, पर 26/11 मुंबई हमले के साथ ही एक अन्य मामले में भी आरोप हैं। उसका नाम पाकिस्तान के अमेरिकी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली के साथ जोड़ा गया है। अमेरिकी जज मिलान स्मिथ ने बताया कि भारत ने इस मामले में पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत किए हैं जो राणा के खिलाफ आरोपों की पुष्टि करते हैं।

READ MORE : Udaipur Violence ::  उदयपुर हिंसा: संगीनों के साए में झीलों की नगरी, आरोपी के खिलाफ बुलडोजर की तैयारी……………?

राणा पर आरोप है कि उन्होंने हेडली को भारत के लिए एक पांच साल का वीजा दिलवाने में मदद की, जिससे हेडली ने मुंबई में लक्षित हमलों की योजना बनाई। हेडली ने ताज होटल और अन्य स्थानों की निगरानी की थी और इस संदर्भ में राणा को सूचित किया था।

US court approves extradition of 26/11 Mumbai attack accused Tahawwur Rana  to India

राणा के खिलाफ भारत में कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें साजिश, युद्ध की स्थिति पैदा करना, हत्या, आतंकवाद और जालसाजी शामिल हैं। हालांकि, अमेरिका में उन्हें मुंबई हमले के आरोप में बरी कर दिया गया था, लेकिन उनके अन्य आरोपों के आधार पर भारत में उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जारी रही।

राणा को पहले डेनिश अखबार ‘जिलैंड्स-पोस्टन’ पर बम हमले की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उन्हें 14 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान उन्हें दया के आधार पर सात साल बाद रिहा कर दिया गया था। इसके बाद भारत ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी, जिसे अमेरिकी अदालत ने स्वीकार कर लिया है।