28 सितंबर को हम एक ऐसी शख्सियत का जन्मदिन मनाते हैं, जिसने भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। Lata Mangeshkar, जिन्हें सुरों की मल्लिका और कोकिला कंठी के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 1929 में इंदौर में हुआ था। आज उनके 94वें जन्मदिन पर, आइए जानते हैं उनके अद्वितीय सफर के बारे में।
शुरुआती जीवन और संगीत के प्रति लगाव
Lata Mangeshkar का असली नाम हेमा मंगेशकर था। उनके पिता, दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे, और लता का बचपन संगीत के वातावरण में गुजरा। उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें जल्दी ही पहचान दिलाई।
Lata Mangeshkar का संघर्ष और पहचान,
Lata Mangeshkar को अपने करियर की शुरुआत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्हें एक बार प्रसिद्ध निर्देशक एस मुखर्जी द्वारा उनकी पतली आवाज़ के कारण रिजेक्ट किया गया। इस निराशा के बाद, दिलीप कुमार ने उन्हें उर्दू सीखने की सलाह दी, जिसे उन्होंने गंभीरता से लिया और मेहनत की। इस संघर्ष ने उनकी गायकी को और निखार दिया।
‘आएगा आने वाला’: असली पहचान
Lata Mangeshkar को अपनी असली पहचान महल फिल्म के गाने “आएगा आने वाला” से मिली। इस गाने ने न केवल उन्हें लोकप्रियता दिलाई, बल्कि भारतीय संगीत जगत में उनका नाम भी रोशन किया।
रिकॉर्ड तोड़ गायन
लता मंगेशकर ने अपने करियर में 50,000 से अधिक गाने गाए हैं, जिनमें 36 भाषाओं का समावेश है। उनके गायन का रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। वह अपने गाए गाने सुनने में संकोच करती थीं, क्योंकि उन्हें अपनी आवाज़ में कमियां नजर आती थीं।
पुरस्कार और सम्मान
उनकी अद्भुत प्रतिभा के लिए लता मंगेशकर को तीन बार नेशनल अवॉर्ड सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले। भारत रत्न और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से भी उन्हें नवाजा गया।
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फोटोग्राफी का शौक
लता जी का एक और शौक था फोटोग्राफी। इस कला में भी उनकी रुचि ने उन्हें एक और अलग पहचान दिलाई।
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