केरल सरकार द्वारा हॉकी लीजेंड पीआर श्रीजेश का ‘अपमान’: सम्मान समारोह बार-बार कैंसिल…………?
भारतीय हॉकी के लीजेंड और पूर्व कप्तान पीआर श्रीजेश को लेकर केरल सरकार की ओर से विवाद उत्पन्न हो गया है। केरल सरकार द्वारा श्रीजेश का सम्मान समारोह बार-बार रद्द किया गया है, जिसे लेकर काफी विवाद खड़ा हो गया है।
इस मामले ने न केवल पीआर श्रीजेश की असम्मानजनक स्थिति को उजागर किया है, बल्कि केरल सरकार के भीतर की अंदरूनी खींचतान को भी सामने ला दिया है।
सम्मान समारोह की बार-बार कैंसिलेशन
पीआर श्रीजेश का सम्मान समारोह, जो पहले 24 अगस्त को निर्धारित था, उसे पहले 26 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था। श्रीजेश और उनका परिवार इस समारोह में शामिल होने के लिए कन्नूर से तिरुअनंतपुरम पहुंचे थे, केवल यह जानने के लिए कि समारोह को अचानक रद्द कर दिया गया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों ने 24 अगस्त की रात को ही कार्यक्रम को स्थगित करने का निर्णय लिया था, लेकिन श्रीजेश को इसकी सूचना नहीं दी गई। इस कारण श्रीजेश को अपने परिवार के साथ घर लौटने पर मजबूर होना पड़ा।
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केरल सरकार में आरोप-प्रत्यारोप
समारोह के रद्द होने के पीछे के कारणों को लेकर केरल सरकार के भीतर आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं। शिक्षा मंत्री वी सिवनकुट्टी का कहना है कि चूंकि श्रीजेश शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक हैं, इसलिए उन्हें शिक्षा विभाग की ओर से सम्मानित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर, खेल मंत्री वी अब्दुल रहमान ने इस विचार का विरोध किया और कहा कि श्रीजेश को सम्मानित करने की जिम्मेदारी खेल विभाग की है। इस असहमति के कारण मुख्यमंत्री कार्यालय ने मामले में हस्तक्षेप किया और समारोह को रद्द कर दिया।
विपक्ष का हमला
इस पूरी घटना को लेकर कांग्रेस ने पिनराई विजयन सरकार पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने आरोप लगाया कि मंत्रियों के बीच अहंकार की लड़ाई के कारण पीआर श्रीजेश का अपमान हुआ है। उन्होंने मुख्यमंत्री से ओलंपिक पदक विजेता से माफी मांगने की मांग की है।
पीआर श्रीजेश का कैरियर और सम्मान
पीआर श्रीजेश ने हाल ही में पेरिस ओलंपिक्स में भारतीय हॉकी टीम को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। इसके बाद केरल सरकार ने उन्हें 2 करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की थी। श्रीजेश केरल के ही निवासी हैं और उन्होंने ओलंपिक्स के बाद हॉकी से रिटायरमेंट ले लिया था।
यह घटना पीआर श्रीजेश के लिए एक दुखद मोड़ है, जो न केवल उनके प्रति सम्मान की कमी को दर्शाती है, बल्कि केरल सरकार के भीतर की समस्याओं को भी उजागर करती है।