Double iSmart movie review: राम पोथिनेनी की एक और धमाकेदार मूवी……..?

“iSmart shankar” एक बहुत ही सफल फिल्म थी जिसने पुरी जगन्नाध को सफलता की राह पर वापस ला दिया था। “लाइगर” की असफलता के बाद पुरी जगन्नाध ने “iSmart shankar” का सीक्वल Double iSmart बनाने का फैसला किया और राम पोथिनेनी को इस मूवी कर हिस्सा बनाया। अब देखने वाली बात यह है कि यह सीक्वल पहले भाग की तरह सफल होता है या नहीं।

Double iSmart movie review
Double iSmart movie review

Movie story:

जन्नत, जो दिल्ली से हैदराबाद आई है, iSmart शंकर (राम) को अपनी ओर आकर्षित करती है। शंकर न केवल उसे फ्लर्ट करता है, बल्कि अपने मां की हत्या का बदला लेने के लिए माफिया डॉन बिग बुल (संजय दत्त) को भारत लाने का भी लक्ष्य रखता है।
बिग बुल को ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है और वह अपने कर्मचारियों को किसी ऐसे व्यक्ति का ब्रेन खोजने का निर्देश देता है जिसमें वह अपनी यादें ट्रांसफर कर सके। बिग बुल का विचार अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने का होता है।
उसकी टीम का मानना होता है कि iSmart shankar इस ट्रांसफर के लिए सबसे अच्छा उम्मीदवार है। बिग बुल और iSmart shankar एक-दूसरे के पीछे होते हैं।

कलाकारों की बेहतरीन एक्टिंग:

Double iSmart में भी राम पोथिनेनी ने iSmart shankar का रोल फिर से बड़े आत्मविश्वास के साथ निभाया है। लेकिन, चूंकि उसका किरदार पहले भाग की ही तरह का है, इसलिए इसमें कोई नई रोमांचक बात नहीं नहीं लग रही है। काव्या थापर ने पुरी जगन्नाध की हीरोइन के रूप में सिर्फ ग्लैमर का काम किया है। संजय दत्त बिग बुल के किरदार के लिए उपयुक्त हैं, और उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व किरदार को मजबूती देता है। झांसी और प्रगति ने मां के रोल में अच्छी एक्टिंग की है।

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Double iSmart movie analysis (विश्लेषण):

“Double iSmart” की कहानी सुनने में दिलचस्प लगती है। हीरो का बदला लेने का प्रयास और विलेन का उसके दिमाग में अपनी यादें ट्रांसफर करने का आइडिया काफी अनोखा है। लेकिन पुरी जगन्नाध की execution में कहानी का कोई ठोस आधार नजर नहीं आता है।और उन्होंने इसमें पुराने सीन को बनाए रखा।
जिससे यह फिल्म “पैसा वसूल,” “लाइगर,” और “iSmart shankar” का मिश्रण लगती है। हीरो का हीरोइन के प्रति अश्लील और फ्लर्टी व्यवहार और गाने, डांस और लड़ाई के सीन इसे एक पुरानी “मास” फिल्म की तरह बनाते हैं। पहले हाफ में दर्शकों की सहनशीलता की परीक्षा होती है।
इसमें अली का पैरलल कॉमेडी ट्रैक भी निराशाजनक है। यह ट्रैक हास्य पैदा करने में नाकाम रहा है और वह कहानी से अलग लगता है। अली का किरदार, जो एक जनजातीय व्यक्ति का है, हास्य के बजाय अपमानजनक और घटिया लग रहा है।
दूसरे हाफ और क्लाइमेक्स में भी कोई नई दिशा नहीं मिलती। फिल्म में भगवान शिव का माहौल और अंतिम हिस्सा मजबूरन डाले गए लग रहे हैं। कुल मिलाकर, “डबल iSmart” में ताजगी की कमी लग रही है।

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