सेक्स और हिंसा पर सबसे विवादित प्रयोग: 100 दिन, 10 लोग, एक नाव……………?

एक अनोखा सवाल: इंसान हिंसक क्यों होता है?
साल 1973 में, एक प्रश्न ने मेक्सिको के जाने-माने वैज्ञानिक सैंटियागो जीनोव्स को एक बेहद अनोखे और विवादास्पद प्रयोग की ओर प्रेरित किया। यह सवाल था— “इंसान हिंसा क्यों करता है?” इसका जवाब जानने के लिए जीनोव्स ने समंदर के बीचों बीच, एक कमरे की नाव पर 10 अजनबियों के साथ 100 दिनों तक का सफर तय किया।

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सैंटियागो जीनोव्स ने एक नाव बनाई जिसका नाम रखा एकैली और फिर चल पड़े शोष करने (इंडिया टुडे)

प्रेरणा: हाइजैक और ‘लॉर्ड ऑफ द फ्लाइज़’ से मिली सीख
इस कहानी की शुरुआत साल 1972 की एक घटना से होती है। जब अमेरिका से मेक्सिको जा रहे एक प्लेन को हाईजैक कर लिया गया था। उस घटना से प्रभावित होकर, जीनोव्स ने इंसान के हिंसक व्यवहार को समझने के लिए एक प्रयोग की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने एक नाव, जिसे उन्होंने ‘एकाली’ नाम दिया, तैयार करवाई और इस नाव पर 10 अजनबी लोगों को लेकर समुद्र के बीच में निकल पड़े।

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प्रेरणा: हाइजैक और ‘लॉर्ड ऑफ द फ्लाइज़’ से मिली सीख

‘एकाली’ का निर्माण: 12×7 मीटर की तंग जगह

Mutiny on the Sex Raft: how a 70s science project descended into violent  chaos | Documentary films | The Guardian
‘एकाली’ का निर्माण: 12×7 मीटर की तंग जगह

जीनोव्स ने ‘एकाली’ नाव का निर्माण करवाया, जिसमें केवल 11 लोग रह सकते थे। यह नाव असल में एक राफ्ट थी, जिसमें इंजन नहीं था। रात में सोने के लिए सिर्फ एक छोटा सा कैबिन था, और एक टॉयलेट जो बाहर खुले में था। इस छोटी सी जगह में 11 लोगों को 100 दिनों तक रहना था, जो अपने आप में एक चुनौती थी।

https://youtu.be/PkAwLvpSxxo?si=zF9rH4Za6xpig3Tn

कंट्रोवर्सी की शुरुआत: सेक्स राफ्ट

Mutiny on the Sex Raft: how a 70s science project descended into violent  chaos | Documentary films | The Guardian
कंट्रोवर्सी की शुरुआत: सेक्स राफ्ट

इस एक्सपेरिमेंट को “पीस प्रोजेक्ट” का नाम दिया गया, लेकिन मीडिया ने इसे ‘सेक्स राफ्ट’ के नाम से प्रचारित किया। जीनोव्स ने प्रयोग में जानबूझकर चार कुंवारे लोग शामिल किए ताकि सेक्सुअल टेंशन पैदा हो। उन्होंने महिलाओं को मुख्य जिम्मेदारी देकर, पुरुषों को हल्के काम सौंपे ताकि संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सके।

 

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बढ़ती चुनौती: नाव पर बिग बॉस जैसा माहौल
जीनोव्स ने बिग बॉस जैसा माहौल बनाने की कोशिश की, जिसमें उन्होंने किताब पढ़ने पर भी रोक लगा दी। वह चाहते थे कि लोगों के बीच तनाव और संघर्ष पैदा हो। लेकिन ऐसा कुछ खास नहीं हुआ। जीनोव्स के प्रयासों के बावजूद, लोग मिलजुल कर काम करते रहे और आपसी मतभेद को दूर करने की कोशिश करते रहे।

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बढ़ती चुनौती: नाव पर बिग बॉस जैसा माहौल

संघर्ष का मोड़: तूफान और कमांड बदलना
एक समय पर नाव एक तूफान की तरफ बढ़ रही थी। जब नाव की महिला कप्तान ने नाव को तट पर ले जाने का निर्णय लिया, तो जीनोव्स ने उसे हटाकर खुद कमान संभाली। लेकिन इस कदम से लोगों में आपसी संघर्ष की जगह जीनोव्स के खिलाफ असंतोष बढ़ गया।

The Raft Of Sex " - 48 Years Ago It Set Sail | NAUTICA NEWS

राफ्ट का अनुभव: संघर्ष नहीं, एकता का सबक
जीनोव्स को उम्मीद थी कि लोग एक-दूसरे के खिलाफ हो जाएंगे, लेकिन हुआ इसके विपरीत। लोग मिलकर जीनोव्स के खिलाफ हो गए और सभी ने मिलकर नाव की कठिनाइयों का सामना किया। हालांकि, जीनोव्स को खुद आक्रामकता का सामना करना पड़ा, जबकि बाकी लोग इस कठिन परिस्थिति में भी शांति बनाए रखने में सफल रहे।

The Raft | Les Monteurs associés
राफ्ट का अनुभव: संघर्ष नहीं, एकता का सबक

निष्कर्ष: हिंसा नहीं, शांति की कुंजी
इस एक्सपेरिमेंट के परिणाम जीनोव्स के लिए निराशाजनक थे, लेकिन यह मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण सबक था। 101 दिनों के बाद जब यह राफ्ट मेक्सिको पहुंची, तो जीनोव्स को यह एहसास हुआ कि लोगों के बीच संघर्ष पैदा नहीं हुआ, बल्कि उन्होंने एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया।

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निष्कर्ष: हिंसा नहीं, शांति की कुंजी

जीनोव्स का आखिरी सबक: हिंसा इंसान के स्वभाव में नहीं
इस एक्सपेरिमेंट ने जीनोव्स को यह सिखाया कि हिंसा इंसान के स्वभाव में नहीं होती, बल्कि परिस्थितियों से उपजती है। 1989 में, उन्होंने अपने अनुभव को आधार बनाकर एक पॉलिसी पेपर लिखा, जिसे UNESCO ने मान्यता दी। इस पेपर में यह कहा गया कि जैसे हिंसा इंसान के दिमाग में उत्पन्न होती है, वैसे ही शांति की शुरुआत भी वहीं से होती है।

वास्तविकता बनाम धारणा: मानवता के बारे में एक नई सोच
हालांकि इस एक्सपेरिमेंट के परिणाम से हर कोई सहमत नहीं हो सकता, लेकिन यह सच है कि आम जीवन में लोग अधिकतर अच्छे होते हैं और अजनबी भी अच्छा व्यवहार करते हैं। लेकिन हमें यह मानने के लिए मजबूर कर दिया गया है कि लोग बुरे होते हैं। इस प्रयोग ने हमें दिखाया कि मुश्किल परिस्थितियों में भी लोग एकता और शांति की दिशा में काम कर सकते हैं।