भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा Hypersonic Missile का विकास एक महत्वपूर्ण कदम है। यह तकनीक न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगी, बल्कि वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में भी उसकी स्थिति को मजबूत करेगी। आइए, इस विषय पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।

Hypersonic Missile
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Hypersonic Missile का महत्व,

Hypersonic Missile वे हैं जो आवाज की गति से पांच गुना अधिक गति से उड़ान भर सकती हैं। यह गति उन्हें दुश्मन के रडार से बचने और लक्ष्यों पर सटीकता से हमला करने की क्षमता देती है। भारत इस क्षेत्र में अपनी क्षमता को बढ़ाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है।

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लंबी दूरी की मिसाइलों का विकास,

भारतीय सेना अब 2000 किलोमीटर रेंज वाली निर्भय और 400 किलोमीटर रेंज वाली प्रलय जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों को अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है। यह निर्णय देश की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से लिया गया है, विशेषकर वैश्विक तनाव और सैन्य चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए।

 

पिनाका रॉकेट प्रणाली,

पिनाका रॉकेट प्रणाली की रेंज को बढ़ाने की योजना भी बनाई जा रही है। इसे 300 किलोमीटर तक विस्तारित करने की कोशिश की जा रही है, जिससे आर्टिलरी की मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकेगी। यह स्वदेशी विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

DRDO की सक्रियता,

DRDO का कहना है कि उनका मिसाइल कार्यक्रम सही दिशा में और तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। DRDO द्वारा हाइपरसोनिक तकनीक के विकास पर निरंतर कार्य चल रहा है। यह न केवल भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित करेगा।

 

गोला-बारूद की नई तकनीकें,

भारतीय सेना ने गोला-बारूद की सटीकता और मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए कई नई तकनीकों पर काम किया है। इनमें सेंसर फ्यूज्ड म्यूनिशन और कोर्स करेक्टेबल फ्यूज शामिल हैं। ये तकनीकें लक्ष्यों को अधिक सटीकता से मारने में मदद करेंगी, जिससे युद्ध के मैदान में भारतीय सेना की प्रभावशीलता बढ़ेगी।

 

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