लेटरल एंट्री पर भाजपा का सहयोगी दलों से भरोसा खोना? नीतीश कुमार और चिराग पासवान ने उठाई चिंता…………….?

लेटरल एंट्री पर NDA में असहमति
लेटरल एंट्री (Lateral Entry) को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर रही भाजपा अब अपने ही सहयोगी दलों के विरोध का सामना कर रही है। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने इस नीति पर सवाल उठाए हैं,

KC Tyagi and Chirag Paswan
लेटरल एंट्री पर भाजपा का सहयोगी दलों से भरोसा खोना? नीतीश कुमार और चिराग पासवान ने उठाई चिंता

जिससे केंद्र सरकार की नीति पर विवाद गहरा गया है। जबकि, भाजपा के एक अन्य सहयोगी दल तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने इस कदम का समर्थन किया है, और इसे शासन में सुधार का माध्यम बताया है।

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JDU की आपत्ति: आरक्षण और विपक्ष को हथियार देने का मुद्दा
JDU के प्रवक्ता केसी त्यागी ने लेटरल एंट्री को लेकर सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह नीति उनके लिए चिंता का विषय है और इसे लागू करने से सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के साथ अन्याय हो सकता है। त्यागी ने कहा कि विपक्ष को यह एक मुद्दा दिया जा रहा है, जिससे वे केंद्र सरकार पर हमला कर सकते हैं। उनका मानना है कि इस निर्णय से विपक्ष को एक ऐसा हथियार मिल गया है, जिसे वे आगामी चुनावों में उपयोग कर सकते हैं।

चिराग पासवान का विरोध: आरक्षण का अभाव चिंता का विषय
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी लेटरल एंट्री पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए, और लेटरल एंट्री में इस नियम का पालन नहीं करना एक चिंता का विषय है। पासवान ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाएंगे और इसे वापस लेने का आग्रह करेंगे।

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लेटरल एंट्री: विवाद का कारण क्या है?
17 अगस्त को यूपीएससी ने सीनियर अफसरों की नियुक्ति के लिए 45 पदों का नोटिफिकेशन जारी किया, जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक और उप-सचिव के पद शामिल थे। यह पद लेटरल एंट्री के माध्यम से भरे जाने थे, जिसमें एंट्री लेवल पर न होकर सीधे उच्च पदों पर नियुक्ति की जाती है। इस कदम का कई विपक्षी दलों ने विरोध किया, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हैं।

भाजपा की सफाई: UPA सरकार ने की थी शुरुआत
लेटरल एंट्री पर उठे विवाद के बीच भाजपा ने कांग्रेस पर हिपोक्रेसी का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि लेटरल एंट्री की शुरुआत कांग्रेस की अगुआई वाली UPA सरकार ने की थी, और इससे शासन में सुधार की संभावना है। भाजपा का मानना है कि इस नीति से प्रशासनिक व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।