म्यांमार से बांग्लादेश की ओर भाग रहे रोहिंग्या मुसलमानों पर भीषण ड्रोन हमला: 200 से अधिक की मौत, हमलावर की पहचान पर संदेह…..?
म्यांमार के पश्चिमी राज्य रखाइन में 5 अगस्त को एक भयानक घटना सामने आई जब बांग्लादेश की ओर भाग रहे रोहिंग्या मुसलमानों पर ड्रोन से हमला किया गया। इस हमले में 200 से अधिक लोग मारे गए। जीवित बचे लोगों का मानना है कि यह हमला म्यांमार के विद्रोही गुट ‘अराकान आर्मी’ (The Arakan Army) ने किया, जो रखाइन जातीय समूह की सैन्य शाखा है। हालांकि, अराकान आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है।
.webp?width=540)
हमले के बाद जीवित बचे कुछ लोगों ने यह बताया कि जब वे नदी पार कर बांग्लादेश जाने के लिए नाव का इंतजार कर रहे थे, तभी चार ड्रोन ने उन पर बम गिराए। बचे हुए लोग तुरंत पानी में कूद गए, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बचने का मौका नहीं मिला। इसके बाद तोप के गोले भी भीड़ पर दागे गए, जिससे और अधिक जानमाल की हानि हुई।
हमले के बाद सोशल मीडिया पर वीभत्स वीडियो सामने आए हैं, जिसमें नदी के किनारे सड़कों पर दर्जनों वयस्कों और बच्चों के शव बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, म्यांमार में सेना और विद्रोही गुटों के बीच जारी लड़ाई और कड़े प्रतिबंधों के चलते इन वीडियो की पुष्टि करना मुश्किल हो गया है।

म्यांमार में चल रही राजनीतिक अस्थिरता और सेना के 2021 में ‘आंग सान सू की’ की निर्वाचित सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा करने के बाद से रखाइन में संघर्ष और हिंसा बढ़ गई है। अराकान आर्मी, जो म्यांमार की केंद्रीय सरकार से ऑटोनोमी की मांग कर रही है, ने नवंबर 2023 में रखाइन में अपना सैन्य अभियान शुरू किया और राज्य के कई हिस्सों पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
2017 में म्यांमार में सैन्य विरोधी अभियान के तहत 7 लाख 40 हजार रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश भेजा गया था, जहां वे आज भी भीड़भाड़ वाले शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। म्यांमार में रोहिंग्या लोग पीढ़ियों से रह रहे हैं, लेकिन उन्हें नागरिकता और अन्य बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया है।
इस ताजा हमले ने म्यांमार के गृहयुद्ध में नागरिकों पर होने वाले सबसे घातक हमलों में से एक के रूप में इसे स्थापित किया है। अराकान आर्मी पर पहले भी मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं, और अब यह हमला इस सूची में एक और कड़ी जोड़ता है।
अभी तक इस हमले की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो म्यांमार में चल रहे संघर्ष की गंभीरता और हिंसा की बढ़ती स्थिति को दुनिया के सामने उजागर करेंगे।