Bangladesh : शेख हसीना को बांग्लादेश से भागने पर कर दिया मजबूर इन तीन छात्रों ने (Bangladesh: These three students forced Sheikh Hasina to flee from Bangladesh)

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आसिफ महसूद, नाहिद इस्लाम और अबू बक़र मजूमदार (फोटो-रॉयटर्स)

बांग्लादेश संकट: तीन छात्र नेताओं की दिलचस्प कहानी

बांग्लादेश में एक गंभीर राजनीतिक संकट ने देश को हिला कर रख दिया है। इस संकट के केंद्र में थे तीन बहादुर छात्र नेता: नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद, और अबू बकर मजूमदार। इन तीनों ने शेख हसीना की सरकार के खिलाफ ऐसा विरोध प्रदर्शित किया, जिससे प्रधानमंत्री को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

नाहिद इस्लाम: आंदोलन का चेहरा

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नाहिद इस्लाम (फोटो-फ्रंटलाइन डिफेंडर्स)

21 जुलाई 2024 को, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ वर्दीधारी एक व्यक्ति को जबरन एक गाड़ी में बैठा रहे थे। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का सबसे बड़ा चेहरा, ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र नेता नाहिद इस्लाम थे। नाहिद की पहचान सिर पर बांग्लादेश का झंडा और सरकार विरोधी आंदोलनों के कोऑर्डिनेटर के रूप में थी।

वायरल वीडियो से कुछ समय पहले, नाहिद को पुरबाचैल्फ में एक पुल के नीचे बेहोश पाया गया। वह बुरी तरह घायल थे, जिससे साफ था कि उन्हें बुरी तरह पीटा गया था। 26 जुलाई 2024 को नाहिद को अस्पताल से फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद एक वीडियो सामने आया जिसमें नाहिद लोगों से अपील कर रहे थे कि वे आंदोलन खत्म कर दें। हालांकि, आरोप है कि पुलिस ने नाहिद से जबरदस्ती यह वीडियो बनवाया था।

4 अगस्त को नाहिद का एक बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा, “आज हमने सिर्फ लाठी उठाई है, लेकिन लाठी से काम नहीं बना तो हम बंदूक उठाने को भी तैयार हैं। प्रधानमंत्री हसीना देश को सिविल वॉर की तरफ ले जा रही हैं। उन्हें खुद तय करना होगा कि वो पद छोड़ेंगी या पीएम बने रहने के लिए खून-खराबे का सहारा लेंगी।”

आसिफ महमूद: संघर्ष का दूसरा चेहरा

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आसिफ महमूद (फोटो-फ्रंटलाइन डिफेंडर्स)

आसिफ महमूद, नाहिद इस्लाम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले छात्र नेता थे। 26 जुलाई को जब नाहिद को गिरफ्तार किया गया, तब आसिफ भी उनके साथ अस्पताल में थे। पुलिस ने उन्हें भी सुरक्षा कारणों का हवाला देकर हिरासत में लिया। नाहिद के वीडियो में, जिसमें वे लोगों से आंदोलन खत्म करने की अपील कर रहे थे, आसिफ भी साथ थे। 5 अगस्त को शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद, आसिफ ने मीडिया से कहा कि यह आंदोलन गलत नीतियों के खिलाफ था और वे मिलिट्री रूल के पक्ष में नहीं हैं।

अबू बकर मजूमदार: तीसरे नेता की भूमिका

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अबू बकर मजूमदार (फोटो-फ्रंटलाइन डिफेंडर्स)

अबू बकर मजूमदार, नाहिद और आसिफ के साथ मिलकर आंदोलन को लीड कर रहे थे। अबू बकर ढाका यूनिवर्सिटी में जिओग्राफी के छात्र हैं और आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। 26 जुलाई को उन्हें भी अस्पताल से उठाया गया और दबाव डालकर वीडियो बनवाया गया। अबू बकर ने आरक्षण पर दिए फैसले के बाद स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट की शुरुआत की थी।

पुलिस टॉर्चर और जबरन वीडियो

पुलिस ने इन तीनों छात्र नेताओं को गिरफ्तार कर टॉर्चर किया और उनसे जबरन वीडियो बनवाए, जिसमें उन्होंने लोगों से आंदोलन वापस लेने की अपील की। यह एक स्पष्ट संकेत था कि पुलिस ने इन नेताओं को दबाव में डालकर अपनी मांगों के अनुसार बयान दिलवाया था।

आंदोलन का चरम और शेख हसीना का देश छोड़ना

नाहिद, आसिफ और अबू बकर के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शनों ने इतनी गति पकड़ी कि 5 अगस्त को शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। नाहिद ने कहा, “मैं ये जीत उन स्टूडेंट्स को समर्पित करता हूं जो इस आंदोलन के दौरान शहीद हुए हैं।”

इन तीनों नेताओं की कहानी बांग्लादेश में राजनीतिक संघर्ष और बदलाव की एक महत्वपूर्ण गाथा बन चुकी है। उनकी बहादुरी और संघर्ष ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया और देश में एक नई क्रांति की नींव रखी।