हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक नया टैक्स लागू करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक टॉयलेट सीट के लिए 25 रुपये का शुल्क वसूला जाएगा। यह निर्णय सरकार के वित्तीय संकट और राजस्व बढ़ाने की कोशिश का हिस्सा है।
टॉयलेट टैक्स की व्यवस्था,
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस नई व्यवस्था की घोषणा करते हुए बताया कि हर घर में जितने शौचालय होंगे, उतना ही टैक्स लिया जाएगा। यदि किसी परिवार में दो शौचालय हैं, तो उसे 50 रुपये चुकाने होंगे। यह टैक्स उन इलाकों में लागू होगा जहां सीवरेज की सुविधा उपलब्ध है।
पानी के बिल में भी बदलाव,
सिर्फ टॉयलेट टैक्स ही नहीं, बल्कि पानी के बिल में भी परिवर्तन किया गया है। अब शहरी इलाकों में प्रति घर 100 रुपये का पानी बिल लिया जाएगा। इससे पहले, बीजेपी सरकार ने मुफ्त पानी देने की योजना बनाई थी, लेकिन अब सुक्खू सरकार ने इसे समाप्त कर दिया है।
हिमाचल प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति,
हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 58,444 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया है, जिसमें राजकोषीय घाटा 10,784 करोड़ रुपये है। सरकार का अधिकांश बजट कर्मचारियों की पेंशन और पुराने कर्जों की चुकौती में चला जाएगा।
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ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों पर असर,
इस नई टैक्स व्यवस्था का सबसे ज्यादा प्रभाव शहरी क्षेत्रों में पड़ेगा, जहां लोग एक से अधिक शौचालय का उपयोग करते हैं। जबकि ग्रामीण इलाकों में सीवरेज कनेक्शन की कमी है, जिससे वहां पर इस टैक्स का असर अपेक्षाकृत कम होगा।
हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए एक नई चुनौती,
इस टैक्स और पानी की दरों में बढ़ोतरी से लोगों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ेगा, खासकर मध्यम और निम्न वर्ग के परिवारों के लिए। हालांकि, सरकार का तर्क है कि यह कदम वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए आवश्यक है।