अफ्रीकी देश नामीबिया इस समय एक गंभीर खाद्यान संकट का सामना कर रहा है। भयानक सूखे की वजह से देश के अधिकांश खाद्य भंडार नष्ट हो चुके हैं और जनता के समक्ष गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। नामीबिया की सरकार ने इस संकट को देखते हुए एक विवादास्पद निर्णय लिया है। देश में मांस की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए 700 से अधिक जंगली जानवरों को मरने की योजना बनाई है।

नामीबिया
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सूखे और खाद्य संकट की स्थिति

 

नामीबिया का 84% खाद्य भंडार सूखे की वजह से पूरी तरह नष्ट हो चुका है। सूखा इतना गंभीर हो गया है कि किसानों के फसलें बर्बाद हो गई हैं और पानी की किल्लत ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस संकट का सबसे बुरा असर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ा है, जो अब भोजन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

 

जानवरों की हत्या की योजना

 

इस स्थिति के मद्देनज़र, नामीबिया की सरकार ने एक विवादास्पद योजना बनाई है जिसमें 700 से अधिक जंगली जानवरों की हत्या की जाएगी। इस योजना के तहत विभिन्न जानवरों की हत्या की जाएगी, जिसमें निम्न शामिल हैं:

 

– 30 दरियाई घोड़े

– 60 भैंस

– 50 इम्पाला

– 100 ब्लू वाइल्डबीस्ट

– 300 जेबरा

– 83 हाथी

– 100 एलैंड्स

 

इस योजना का उद्देश्य देशवासियों को मांस की आपूर्ति प्रदान करना और उन्हें खाद्य संकट से राहत दिलाना है।

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प्रतिकूल प्रभाव और विवाद

 

हालांकि सरकार का तर्क है कि यह कदम तत्काल खाद्य संकट का समाधान है, लेकिन इस योजना पर पर्यावरणविदों और वन्यजीव संरक्षण संगठनों द्वारा तीव्र विरोध हो रहा है। इन संगठनों का कहना है कि इस कदम से पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर असर पड़ेगा और जंगली जानवरों की जनसंख्या में भारी कमी आ सकती है। वे यह भी तर्क करते हैं कि सूखे की स्थिति को दूर करने के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है, न कि अस्थायी और आपातकालीन उपायों की।

 

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